कृषक रत्न रामप्रकाश

 रामप्रकाश केसरवानी को डाॅ. खूबचंद बघेल    "कृषक रत्न" छत्तीसगढ़ राज्य सम्मान

    

छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण 
 छत्तीसगढ़ प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर राजधानी रायपुर में राज्य अलंकरण समारोह में जांजगीर चांपा जिले के लाखुर्री के प्रतिष्ठित मालगुजार श्री साधराम केसरवानी के पौत्र और श्री ओंकारप्रसाद केसरवानी के सुपुत्र रामप्रकाश केसरवानी को कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए दिये जाने वाले डाॅ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न सम्मान प्रदान किया गया। इंडोर स्टेडियम रायपुर में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल श्री बलरामदास टंडन, केन्द्रिय मंत्री श्री अरूण जेटली, मुख्य मंत्री डाॅ. रमन सिंह और कृषि मंत्री श्री ब्रजमोहन अग्रवाल ने प्रगतिशील कृषक श्री रामप्रकाश केसरवानी को यह सम्मान प्रदान किया। यह पुरस्कार उन्हें महासमुंद जिले के कृषक गजानंद पटेल के साथ संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है। उल्लेखनीय है कि श्री रामप्रकाश केसरवानी का नाम खेती किसानी में जैव विविधता के संरक्षण, कृषि यांत्रिकीकरण के प्रोत्साहन, कृषि सेवा केंद्र की स्थापना, खेत के मेढ़ों में कृषि वानिकी हेतु उपयोग जैसे सराहनीय कार्य को ध्यान में रखकर इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया है। 29 सितंबर 1972 में जिले के बम्हनीडीह विकासखंड के ग्राम लखुर्री में श्री ओंकारप्रसाद केसरवानी के सुपुत्र के रूप में जन्म हुआ। कला में स्नातक श्री रामप्रकाश प्रारंभ से ही आपने दादा श्री साधराम केसरवानी के साथ कृषि में रूचि लेते रहे और कृषि यांत्रिकीकरण हेतु प्रयासरत रहे। उन्होंने कृषि यंत्र सेवा केंद्र का सफल संचालन करते हुए अन्य कृषकों को भी कृषि यंत्र सुलभ कराने का प्रयास किया। जैव विविधता और स्थानीय किस्मों के संरक्षण में प्रयाररत रहे। अपने 35 किस्मों की प्रजातियों के पंजीयन हेतु ‘‘फसल किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण‘‘ को आवेदन प्रेषित किया है। खेत के मेढ़ों पर बांस और सागौन का संवर्धन कर कृषि वानिकी का अनुपम उदाहरण पेश किया है।

रामप्रकाश 

    जांजगीर चांपा के कलेक्टर श्री ओ. पी. चैधरी ने श्री रामप्रकाश केसरवानी को डाॅ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न राज्य अलंकरण सम्मान प्राप्त करने पर बधाई देते हुए उन्हें जिले का गौरव निरूपित किया है। वे जिले के अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे, ऐसा विश्वास व्यक्त किया है। उल्लेखनीय है कि श्री रामप्रकाश केसरवानी छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध माखन वंश के पौध हैं। सन् 1926 में माखन साव के पौत्र श्री आत्माराम साव को ब्रिटिश सरकार द्वारा जिले के कृषि सम्मेलन में ‘‘उत्कृष्ट कृषक‘‘ का रजत पदक प्रदान किया था। माखन साव परिवार में कृषि के क्षेत्र में मिलने वाला यह दूसरा सम्मान है। माखन साव शिवरीनारायण तहसील के आनरेरी बेंच मजिस्ट्रेट थे। इसके अलावा इस परिवार में उनके सुपुत्र श्री खेदूराम साव और श्री आत्माराम साव भी आनरेरी बेंच मजिस्ट्रेट थे। श्री रामप्रकाश न केवल जिले के बल्कि माखन साव परिवार के गौरव हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण से सम्मानित किय जाने पर पूरा माखन साव परिवार गौरवान्वित है। श्री रामप्रकाश को पूर्व में कृषक समृद्धि मिशन के द्वारा ‘‘कृषक समृद्धि सम्मान‘‘, पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार प्राधिकरण नई दिल्ली एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा प्रशस्ति पत्र दिया गया था। सामुदायिक बीज बैंक के उद्घाटन के अवसर पर फसल जैव विविधता प्रदर्शनी रायपुर में कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। यह भी उल्लेखनीय है कि श्री रामप्रकाश मोतीलाल नेहरू फारमर्स ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट फूलपुर, इलाहाबाद और कृषि विज्ञान केंद्र जांजगीर में उन्नत कृषि संरक्षण और वानिकीकरण का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। 


किसानों के प्रेरणास्रोत हैं रामप्रकाश:-

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा डाॅ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न 2015 राज्य अलंकरण प्राप्त प्रगतिशील कृषक  श्री रामप्रकाश केसरवानी प्रदेश के अन्य किसानों के प्रेरणास्रोत बन गये हैं। रायपुर के ग्राम जोरा में 26 से 28 दिसंबर 2015 तक आयोजित राष्ट्रीय कृषि मेला में शिरकत करने आये श्री रामप्रकाश ने बहुत ही सहज स्वर में बताया कि वे परंपरागत किसान हैं। उनके द्वारा श्री साधराम साव के द्वारा सन 1950 में खरीदी ट्रेक्टर जो आज भी चालू है, के द्वारा खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें आधुनिक कृषि यंत्रों के द्वारा खेती करने की प्रेरणा मिली। उन्होंने विभिन्न कृषि केंद्रो और संस्थानों के द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया और नई कृषि तकनीक से खेती करने लगे। वे उचित दर पर अन्य किसानों को भी कृषि उपकरण मुहैया कराते हैं। कृषि के क्षेत्र में नित नये बदलाव को ध्यान में रखकर कृषि विभाग के अधिकारियों के सहयोग और मार्गदर्शन में अपने 15 एकड़ कृषि जमीन में खरीफ और रबी फसलें ले रहे हैं। इसके अलावा खेत के मेंढ़ों में कृषि वानिकी के तहत नीलगिरि, बांस और सागौन के पेड़ लगाकर अधिक मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं और अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने फसल की 35 किस्मों का पेटेंट भी कराया है।

पद्मविभूषण पुरस्कार के लिए प्रस्ताव 
अपने खेतों में धान, गेंहूं के अलावा सरसों, मूंग, आलू और भिंडी लगाने से प्रतिवर्ष 15 लाख रूपए का शुद्ध लाभ होता है। वे कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं। उन्होंने अपने गांव में ‘‘किसान क्लब‘‘ का भी गठन किया है। स्वयं के तालाब में मछली पालन भी करते हैं। फसलों के उत्पादन में केचुआ खाद और जैविक खाद का भी उपयोग करते हैं। उनके पास छोटा सा डेयरी फार्म भी है जहां 15 देशी गायों का पालन होता है। वे जैविक खेती के साथ साथ मछली पालन, बतख पालन और खेतों के मेंढ़ों पर उद्यानिकी फसलें जैसे पपीता, अरहर, कपास, जिमीकांदा और मुनगा आदि उगाते हैं जिससे उन्हें सालाना दो लाख रूपये का अतिरिक्त लाभ होता है। उनकी लगन और मेहनत को ध्यान में रखकर राज्य सरकार द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया है। वे निश्चित रूप से किसानो के प्रेरणास्रोत हैं। उन्हें हमारी हादिक शुभकामनाएं।  (केसर ज्योति से साभार )

छत्तीसगढ़ शासन का खूबचंद बघेल कृषि सम्मान लेते हुए 


केन्द्रीय कृषि मंत्री के द्वारा पुरस्कार ग्रहण करते हुए 


रामप्रकाश की हवेली , लखुर्री 

रामप्रकाश का परिवार 




No comments:

Post a Comment