गजाधर साव परिवार
माखन साव के तीसरे भाई गोविंद साव और चैथे भाई गजाधर साव में शुरू से ही अच्छी मित्रता थी। दोनों मिलकर एक साथ रहते और कार्य करते थे। संभवतया इसी कारण दोनों भाई के परिवार को एक साथ साजापाली और दौराभाटा गांव के व्यवस्था का दायित्व सौंपा गया था। दोनों भाई का छोटा और सीमित परिवार था। लेकिन एक विडंबना रही कि एक भाई के परिवार में किसी का निधन हो जाता तो दूसरे भाई का परिवार उसे सहारा दिया करता था। इसीलिए दोनों भाई का परिवार आजीवन एक साथ रहा। जब परिवार को पांच भाग क्रमशः भादा, कमरीद, सिल्ली और नवाघर परिवार, हसुवा परिवार, लखुर्री परिवार, टाटा परिवार और साजापाली परिवार में व्यवस्था दिया गया तो दोनों भाई का संयुक्त परिवार ‘‘साजापाली परिवार‘‘ के रूप में रखा गया है। गोविंद साव के परिवार में राघव साव का परिवार तो गजाधर साव के परिवार में महादेव साव के तीनों पुत्रों लक्ष्मी प्रसाद, नारायण प्रसाद और कमला प्रसाद के परिवार शामिल है। कमला प्रसाद का कोई औलाद नहीं था जिससे वे अपने बाद भाईयों के बच्चों यानी भतीजों में अपने हिस्से को बांट दिया।
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शिवरीनारायण का जुन्ना घर
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राजीनामा बंटवारा के अनुसार गजाधर साव परिवार के वंशजों भैरवलाल, बंशीलाल वल्द लक्ष्मीप्रसाद साव, उर्मिला देवी बेवा लक्ष्मीप्रसाद, नारायण और कमला साव वल्द महादेव साव (साजापाली परिवार),को एक आना नौ पाई हिस्से में मौजा साजापाली, दौराभाठा, बेलादूला, बरगांव के कुल जमीन का आधा, मुड़पार के साढ़े ग्यारह आना लगान की जमीन, मानाकोनी और करमंदी का पूरा जमीन मिला। शिवरीनाराण, बेलादूला, साजापाली, बरगांव की हवेली का आधा, रायपुर के मकान का आधा, तुस्मा व मुड़पार का ढाबा और शिवरीनारायण में नदी खड़ के पश्चिम तरफ के मकान का आधा मिला।
इसमें साजापाली 16 आना गांव रसीद खां मालगुजार ने आत्माराम बलभद्र साव के पास रहन रखा था। बाद में 14200 रू . नगद देकर 09. 07.1923 को खरीदा गया। इस गांव की जिम्मेदारी पचकौड़ साव महादेव साव को सौंपा गया था। इसी प्रकार दौराभाठा तहसील बलौदाबाजार का 16 आना हिस्सा आत्माराम बलभद्र साव खम्हारी साव के पास रहन था। 1924 में आत्माराम बलभद्र साव के नाम पर दाखिल खारिज व कब्जा मिला। इसकी भी जिम्मेदारी पचकौड़ साव महादेव साव का दिया गया था। बेलादूला में 2 आना हिस्सा लखुर्री और शिवरीनारायण खाता से उदेराम चन्नाहू ने खेदूराम साव के पास रहन रखा था। इसी प्रकार डेरहा सतनामी का हिस्सा माखन सव के पास रहन था और जिसका 28. 03. 1901 को दखल कब्जा मिला। इस गांव की देखरेख की जिम्मेदारी साधराम रामचंद देवचरण और चमरू साव को सौंपा गया था। बरगांव का चार आना चार पाई हिस्सा चैनसिंह चन्नाहू वगैरह मालगुजार से नंदराम हरिराम के नाम पर डिग्री के एवज में नीलाम से 1928 में आत्माराम साव के नाम पर खरीदा गया। इसी प्रकार यहां का छै पाई हिस्सा मानकुंवर बेवा समारू चन्नाहू से 500 रू . में लखुर्री खाता से 13. 10. 1937 को रजिस्ट्री सुदा खरीदा गया। बरगांव की जिम्मेदारी साधराम रामचंद्र साव लखुर्री को सौंपा गया था ।
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शिवरीनारायण की हवेली
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भजोराम रावत का मुड़पार और करमंदी का हिस्सा डिग्री सुदा रकम के एवज में नीलाम में आत्माराम सूरजदीन को मिला। इस गांव की जिम्मेदारी महादेव साव को सौंपी गई थी. इसीप्रकार मानाकोनी तहसील बलौदाबाजार का दो आना हिस्सा आत्माराम गनपत साव के पास बोदराज सिंह का नौ सौ सात रूपये दस आना और नौ पाई का कर्ज था उसके बाद सात सौ बयानबे रुपये चार आना तीन पाई और देकर कुल १७०० रूपये में बैनामा रजिस्ट्री हुआ। इस गांव की जिम्मेदारी गिरीचंद्र कृपाराम वगैरह को सौंपी गई थी। बाद में इस गांव का चार आना हिस्सा पृथ्वीं सिंह वगैरह मालगुजार से २३०० रूपये में हसुवा खाता से १४।४। १९१५ में आत्माराम गनपत साव के नाम पर रजिस्ट्री हुआ। छह पाई हिस्सा तोपसिंह वगैरह ने आठ सौ पचासी रूपये आत्माराम गनपत साव से कर्ज लिया था बाकी तीन सौ नवासी रूपये चौदह आना नगद देकर कुल १२७५ रूपये में २७. ०५. १९१५ को रजिस्ट्री हुआ। छह पाई हिस्सा कहरसिंह वगैरह ने तीन सौ अट्ठाईस रूपये सात आना आत्माराम गणपत साव से कर्ज लिया था बाकि छियान्बे रूपये नौ आना देकर कुल ४२५ रूपये में २७.०४.१९१५ रजिस्ट्री हुआ। पांच पाई हिस्सा परताप सिंह ने हसुवा खता से एक हजार कर्ज के एवज में २४.०२.१९३० को आत्माराम बलभद्र साव के नाम रजिस्ट्री किया। पांच पाई हिस्सा धीरन सिंह वगैरह ने सात सौ रुपये के एवज में ०६.०६.१९२५ को आत्माराम बलभद्र साव के नाम रजिस्ट्री किया। पांच पाई हिस्सा गजराज सिंह वगैरह ने हसुवा खाता से गिरीचंद्र चन्द्रिका साव से कर्ज के एवज में १४.०३.१९३५ को आत्माराम सूरजदीन साव के नाम रजिस्ट्री किया। तीन पाई हिस्सा जयसिंह ने हसुवा खता से २५० रूपये गिरीचंद्र चन्द्रिका साव से कर्ज के एवज में अपना हिस्सा आत्माराम सूरजदीन साव के नाम १६.०८.१९३४ को रजिस्ट्री किया। मनकोनी गांव की जिम्मेदारी गिरीचंद्र चन्द्रिका साव को सौपी गई थी।
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कमला प्रसाद
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प्यारी बाई कमला प्रसाद
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प्रो बंशीलाल
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तारामणी बंशीलाल
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ब्रजेश कुमार
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मनोरमा बृजेश
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ई येतेंद्र कुमार
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वर्षा देवी येतेंद्र कुमार
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देवेंद्र कुमार
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ब्रजेश कुमार का परिवार
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लक्ष्मी प्रसाद
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राधेश्याम
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उर्मिला देवी लक्ष्मी प्रसाद
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निर्मला भैरव प्रसाद
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सुकृता देवी नारायण साव
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विनोदनी देवी बालाराम
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शिव कुमारी देवी राधेश्याम
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प्रणिता डॉक्टर सुरेश
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प्रमोद कुमार ,प्रफुल कुमार और महेश कुमार परिवार
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प्रमोद कुमार सुशीला देवी
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प्रदीप कुमार का परिवार
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शिवकुमार का परिवार
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महेश कुमार संगीता देवी
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प्रताप कुमार पुष्पा देवी
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श्रवण कुमार
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श्रीमती सरोज श्रवण कुमार
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श्रीमती सरोज पारस राम , सारागांव
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महादेव साव की बेटी लक्ष्मीन का परिवार
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अंजुलता और मीनू
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पार्थ कुमार का परिवार
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श्रीमती स्वाति आशीष , बलौदाबाजार
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श्रीमती रानू अभिनव ,अंबिकापुर
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ऐश्वर्य कुमार ,एच डी एफ सी बैंक
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सी ए निकीता
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अर्थ कुमार
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आशुतोष कुमार
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समीक्षा कुमारी
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ओम कुमार
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मनोरमा देवी का नगर पंचायत अध्यक्ष के रूप में सम्मान
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राकेश ,प्रदीप ,कल्याणी और आंचल देवी
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परिवारजन
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परिवारजन
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ब्रजेश कुमार की शादी में
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