माखन वंश की मालगुजारी
हसुवा की हवेली |
महेश्वर महादेव और देवी दाई मंदिर |
80 वर्ष तक सद्कार्य करने के बाद फाल्गुन सुदि 2, संवत् 1949 तद्नुसार शनिवार, 06 मार्च सन् 1892 को माखन साव गोलोकवासी हुए। उनके मृत्योपरांत माखन साव के नाम से आठ गांवों क्रमशः हसुवा, टाटा, सितलपुर, बछौडीह, झुमका, कमरीद, म.नं. 01 मौहाडीह और लखुर्री की मालगुजारी उनके ज्येष्ठ पुत्र श्री खेदूराम साव के नाम स्थानान्तरित हो गयी। हसुवा को गोपाल साव, टाटा, सितलपुर, बछौडीह और झुमका को सुखरू, अंडोल, गनपत, गोविंद और गजाधर साव साजापाली और दौराभाठा, कमरीद को खेदूराम और बुल्लूराम साव, मौहाडीह और लखुर्री का सिरदार और ठुठवा साव देखरेख कर रहे थे।
लखुर्री की हवेली | लखुर्री की हवेली |
खेदूराम साव को प्रशस्ति पत्र |
मालगुजारी के सफल संचालन और आयकर से बचने के लिए कुछ नए फर्म बनाये गए जो निम्नानुसार है:-
1. आत्माराम-बलभद्र साव, शिवरीनारायण
2. महादेव-पचकौड़ साव, शिवरीनारायण (05 वर्ष बाद इस खाता को बंद कर दिया गया)
3. पचकौड़ साव -महादेवसाव, साजापाली
4. नंदराम-हरिराम साव, टाटा
5. बहोरन साव, झुमका (आगे चलकर उनके एक मात्र पुत्र बलराम साव लंबरदार हुए)
6. चंद्रिका-गिरीचंद्र साव, हसुवा
7. बिजेराम-कुंदनलाल, कमरीद (06 वर्ष के बाद बिजेराम साव की मृत्यु हो गयी तब कमरीद का खाता ‘हीरालाल कुंदनलाल‘ के नाम से चलने लगा)
8. साहेबलाल-मदनलाल, खपरीडीह
9. साधराम-रामचंद्र साव, लखुर्री
10. झड़ीराम-मोहनलाल साव, भादा
11. तुमागम प्रसाद-सत्यनारायण बेलहा
बेलादुला की हवेली |
13.04.1926 को बलभद्रसाव की मृत्यु होने पर और उनके ज्येष्ठ पुत्र के अस्वस्थ रहने के कारण उनके द्वितीय पुत्र श्री चंद्रिका प्रसाद का नाम हसुवा की मालगुजारी खाता में और तृतीय पुत्र श्री सूरजदीन साव का नाम शिवरीनारायण के खाता में जोड़ा गया। इस प्रकार हसुवा का खाता ‘चंद्रिका प्रसाद-गिरीचंद्र साव‘ और शिवरीनारायण का खाता ‘आत्माराम-सूरजदीन साव‘ के नाम से चलने लगा। माखन वंश के 84 गांव की मालगुजारी में सर्वाधिक योगदान ‘आत्माराम सूरजदीन साव‘, शिवरीनारायण; ‘साधराम-रामचंद्र साव‘, लखुर्री और ‘चंद्रिका प्रसाद-गिरीचंद्र साव‘ हसुवा का रहा है। श्री आत्माराम साव की मृत्यु पौष शुक्ल 4, संवत् 2003 (तद्नुसार 12.12.1946) को हो गया जिससे शिवरीनारायण की मालगुजारी ‘श्याममनोहर-सूरजदीन साव‘ के नाम से चलने लगी। इसी प्रकार श्री श्याममनोहर साव की मृत्यु जेठ शुक्ल 11, संवत् 2022 को हो गया तब से पारिवारिक बंटवारा होने तक ‘तुमागम प्रसाद-सूरजदीन साव‘ के नाम चला। इसमें महत्वपूर्ण तथ्य है- श्री सूरजदीन साव का तीन पीढ़ी तक मालगुजारी करना। पहले ‘आत्माराम-सूरजदीन साव‘, फिर ‘श्याममनोहर-सूरजदीन साव‘ और अंत में ‘तुमागम प्रसाद-सूरजदीन साव‘। सूरजदीन साव जीवन के अंत तक वे निश्छल, धीर-गंभीर और ईमानदार रहे। इसी प्रकार परिवार में श्री साधराम साव का स्थान था। उन्होंने भी परिवार की निःस्वार्थ सेवा की। लखुर्री के मालगुजारी फर्म से लगभग 25 गांव, टाटा-झुमका के मालगुजारी फर्म से लगभग 10 गांव खरीदने का उल्लेख है, शेष गांव शिवरीनारायण और हसुवा खाता से खरीदा गया।
शिवरीनारायण की हवेली |
माखन वंश के 17 गांवों क्रमशः हसुवा, लखुर्री, गोविंदा, बेलादूला (म.नं. 2), मौहाडीह, कोन्हापाट, कमरीद (म.नं. 01 एवं 02), केवा, भादा, टाटा, तौलीडीह, साजापाली, दौराभाठा, खपरीडीह, सितलपुर, बछौडीह, झुमका में 16 आना; सिल्ली में 12 आना और बेलहा में 08 आना मालगुजारी था। इस वंश के 32 मालगुजारी गांवों क्रमशः शिवरीनारायण में 07, हसुवा में 07, लखुर्री में 05, मौहाडीह में 02, बम्हनीडीह में 02, साजापाली में 02, बेलादूला में 03, बिलासपुर में 02, जांजगीर में 02, नवागढ़ में 02 के अलावा कमरीद, भादा, बेलहा, कांसा, गोधना, सिल्ली, मुड़पार, डोंगाकोहरौद, बरगांव, तुस्मा, चांपा, मुक्ता, टाटा, झुमका, पड़रीपाली, पुरगांव, मानाकोनी, खपरीडीह, भुसड़ा, रायपुर और नावापारा में मकान तथा भटगांव, नवागढ़, में एक-एक चंडीपारा-पामगढ़ में ढाबा और रहने के लिए मकान था।
खेदूराम साव , लम्बरदार | आत्माराम साव | श्याममनोहर साव |
सूरजदीन साव | साधराम साव |
No comments:
Post a Comment